नवी दिल्ली / सीमा रंगा :- अग्रणी साहित्यिक संस्था “काव्य शोध संस्थान भारत (पंजी.)” द्वारा नत्थूराम राम कॉन्वेंट स्कूल के तत्वावधान में फिल्मी गीतकार एवं संगीतकार डॉ. प्रमोद कुमार कुश 'तन्हा’ (मुंबई) के सम्मान में एक “सरस काव्य संध्या” का भव्य आयोजन बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ। संस्था व काव्य संध्या के अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि-गीतकार डॉ. जयसिंह आर्य ने सभी गणमान्य अतिथियों और कवियों का हार्दिक स्वागत किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. वर्षा सिंह ने किया।
सुप्रसिद्ध कवि-गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने डॉ. प्रमोद कुमार कुश 'तन्हा’ को प्रतीक-चिह्न, शाल व श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में पूनम समोर की विशिष्ट उपस्थिति रही। अवधेश कनौजिया ‘अद्वैत’ एवं डॉ. अखिलेश ‘अकेला’ के उत्कृष्ट संयोजन से कार्यक्रम ने सफलता की नई ऊँचाइयाँ छुईं।
डॉ. प्रमोद कुमार कुश 'तन्हा’ की प्रसिद्ध ग़ज़लें -
“दे रहा आवाज़ कोई, खिड़कियाँ तो खोलिए”
तथा “दिखाता है तमाशा और खुद भी देखता है,
ज़माने के झमेलों में न उलझो, बात करो”
ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
राष्ट्रीय कवि-गीतकार डॉ. जयसिंह आर्य के गीत -
“चलो गाँव की ओर, ए मनवा चलो गाँव की ओर,
गाँवों के जंगल में मिलते ख़ुशहाली के मोर।”
ने सभी का मन मोह लिया।
सुप्रसिद्ध गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी (बहादुरगढ़) ने कौमी एकता का संदेश देते हुए कहा -
“फूल हिन्दू या मुसलमान नहीं होते हैं,
धर्म या जाति की पहचान नहीं होते हैं।”
हास्य कवि जगबीर कौशिक ‘समचाना’ के गीत-
“चार सखी मिल एक रोज़ यूँ आपस में बतलाई,
अपने-अपने पति देव की करने लगी बड़ाई।”
पर श्रोता हँसी से लोटपोट हो उठे।
सीमा रंगा ‘इन्द्रा’ ने भावपूर्ण पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं -
“हाथ रख सिर पर प्यार करे मात-पिता,
इनकी गोदी में मुझे मिलता आराम है।”
सुप्रसिद्ध शाइर रामश्याम हसीन (दिल्ली) ने प्रेमभाव से कहा -
“तुम्हें इक चाहने की आस ने जीवन बदल डाला,
बदल डाले हैं सब अरमान, अन्तरमन बदल डाला।”
डॉं. वर्षा सिंह ने अपने दोहों से सबका मन मोह लिया-
“जब तक दोनों दूर थे, प्यार रहा भरपूर,
मगर मिले भरपूर जब, प्यार हो गया दूर।”
अवधेश कनौजिया ‘अद्वैत’ ने चुटीले अंदाज में कहा-
“फूल भी उनको काँटे चुभाने लगे,
प्रेम के गीत भी अब सताने लगे।
सांत्वना उनको मेरी तरफ से है जो,
पापा के बदले मामा कहाने लगे।”
गुस्ताख हिन्दुस्तानी ने शेर पेश किया-
“बाद मेरे जब किताबों को खँगाला जायगा,
नाम तेरा साथ मेरे फिर उछाला जायगा।”
कर्ण सिंह आर्य की प्रेरणादायक रचना-
“दिल किसी का भी ना जलाया कर,
जो मिले उसको ही हँसाया कर।”
को ख़ूब सराहा गया।
कार्यक्रम में गोल्डी गीतकार, पवन कुमार तोमर, डॉ. अखिलेश ‘अकेला’, श्यामबदन राव, संजय शाह तथा आदित्य ने अपने सशक्त काव्यपाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कुलवीर स्वामी जी की विशेष उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगा दिए। अंत में संस्था के अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि जयसिंह आर्य ने सभी कवियों, अतिथियों एवं सहयोगियों का हार्दिक धन्यवाद प्रकट किया।