शिक्षा वह खजाना है जिसे कोई चुरा नहीं सकता यह जीवन को दिशा और सफलता को ऊँचाई देती है...

* लेखक - चंद्रकांत सी पूजारी, गुजरात 

"शिक्षा वह खजाना है जिसे कोई चुरा नहीं सकता।" इसका अर्थ है कि जो ज्ञान और शिक्षा हम अर्जित करते हैं, वह हमारी सबसे बड़ी पूँजी होती है। धन, वस्तुएँ या पद छीने जा सकते हैं, लेकिन शिक्षा हमेशा हमारे साथ रहती है और हमें जीवन भर सही दिशा दिखाती रहती है।

शिक्षा मानव जीवन का सबसे अनमोल रत्न है। यह ऐसा खजाना है, जिसे जितना बाँटा जाए उतना बढ़ता जाता है। धन-संपत्ति, आभूषण या अन्य भौतिक वस्तुएँ समय के साथ नष्ट हो सकती हैं या किसी के द्वारा छीनी जा सकती हैं, लेकिन शिक्षा ऐसा निवेश है जो जीवन भर साथ रहता है और हर परिस्थिति में व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत बनता है।


शिक्षा का उद्देश्य नौकरी प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं है।शिक्षा मानव का सर्वांगीण विकास करती है।यह व्यक्ति के विचारों, चरित्र और व्यक्तित्व को भी निखारने के साथ उसे सही-गलत का भेद करने,समस्या के कारण को समझने और निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करती है।शिक्षा आस-पास के माहौल के साथ ही अपने भीतर के गूढ़ रहस्यों को समझने में मदद करती है। यह व्यक्ति के आत्मविश्वास को मजबूत बनाती है।

समाज में भी शिक्षा का अत्यधिक महत्व है। शिक्षित नागरिक स्वयं की प्रगति के साथ-साथ समाज की प्रगति का आधार होते हैं। एक शिक्षित व्यक्ति न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि अपने परिवार और समाज को भी जागरूक और सक्षम बनाने में योगदान देता है। यही कारण है कि शिक्षा को सबसे बड़ा धन कहा गया है।आज के प्रतिस्पर्धी युग में शिक्षा सफलता की कुंजी है। यह हमें बेहतर अवसर, सम्मान और आत्मनिर्भरता प्रदान करती है। शिक्षा से व्यक्ति में न केवल आर्थिक उन्नति होती है, बल्कि मानसिक और सामाजिक विकास भी संभव होता है।

अतः हमें शिक्षा के महत्व को समझते हुए इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। हमें शिक्षा को आत्मसात करने के साथ ही इसे भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने में अपना योगदान देना चाहिए। अच्छी शिक्षा से बेहतर कैरियर और आय के अवसर मिलते हैं।शिक्षा सोचने-समझने और संवाद करने की क्षमता को निखारती है जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।यह सही आदर्श, संस्कार और मूल्यों की समझ देती है। शिक्षित समाज में भेदभाव, अंधविश्वास और रूढ़िवादिता कम होते हैं। शिक्षा समाज में एकता और भाईचारे की भावना को प्रबल करती है।

 शिक्षित लोग कानून, नियम और सामाजिक कर्तव्यों का पालन बेहतर तरीके से करते हैं। शिक्षित मानव संसाधन देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान देते हैं। शोध और नवाचार से देश को तकनीकी रूप से सशक्त बनाते हैं।लोकतंत्र की मजबूती में शिक्षित नागरिक जागरूक मतदाता बनकर लोकतंत्र को मजबूत करते हैं। शिक्षा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और आपसी सहयोग दोनों में अहम भूमिका निभाती है। यह विश्व शांति, स्थिरता और सतत विकास की दिशा में योगदान देती है।

शिक्षा प्राप्त करने के अनेक माध्यम है, जो समय, संसाधन, रुचि और उद्देश्य के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इन्हें मुख्य रूप से निम्न वर्गों में बाँटा जा सकता है:

1. औपचारिक शिक्षा (Formal Education)

यह संगठित और संस्थागत शिक्षा होती है, जिसमें तय पाठ्यक्रम और स्तर होते हैं।

विद्यालयी शिक्षा – प्राथमिक,उच्च प्राथमिक ,माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर तक।

उच्च शिक्षा – कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रोफेशनल कोर्स (जैसे इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, मैनेजमेंट)।

व्यावसायिक/तकनीकी शिक्षा – आईटीआई, पॉलिटेक्निक, डिप्लोमा कोर्स इत्यादि।

2. अनौपचारिक शिक्षा (Informal Education)

यह घर, समाज, कार्यस्थल और अनुभव से प्राप्त होती है।परिवार या समुदाय से सीखना।

जीवन के अनुभवों और सामाजिक मेलजोल से ज्ञान अर्जित करना।

सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से सीखना।

3. गैर-औपचारिक शिक्षा (Non-Formal Education)

यह औपचारिक प्रणाली से बाहर, लचीले तरीके से दी जाती है।

दूरस्थ शिक्षा (Distance Learning) – पत्राचार या ऑनलाइन माध्यम से।

प्रौढ़ शिक्षा (Adult Education) – बुजुर्गों या वयस्कों के लिए साक्षरता अभियान।

स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम – अल्पावधि प्रशिक्षण और कार्यशालाएँ।

4. ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा (Online & Digital Learning)

आज के समय में शिक्षा का सबसे उभरता हुआ मार्ग:

ऑनलाइन कोर्स और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म – जैसे Coursera, Udemy, Byju’s, Khan Academy आदि।

वर्चुअल क्लासरूम और वेबिनार।

मोबाइल ऐप्स और डिजिटल पुस्तकालय।

5. स्व-अध्ययन (Self-learning)

जिसे व्यक्ति अपनी रुचि और प्रयास से करता है।

किताबें, शोध-पत्र और लेख पढ़ना।

यूट्यूब, पॉडकास्ट और ओपन-सोर्स सामग्री से सीखना।

प्रयोग और अभ्यास के माध्यम से कौशल विकसित करना।

6. व्यावहारिक या अनुभवात्मक शिक्षण 

सीखने का यह तरीका "करके सीखना"के द्वारा अर्जित किया जाता है। (Learning by Doing) कहलाता है।इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप, प्रशिक्षण,रिसर्च प्रोजेक्ट्स, फील्ड वर्क,स्वयंसेवी कार्य और सामाजिक  इसके अन्तर्गत आते है।

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