नवी दिल्ली / सीमा रंगा इन्द्रा :- नफे सिंह योगी मालडा सुपुत्र बलबीर सिंह पीटी आई, माता जी श्रीमती विजय देवी जिला महेंद्रगढ (हरियाणा), अपनी परंपरा को निरंतर बरकरार रखते हुए एक बार फिर अपनी स्वर्गीय दादी माँ श्रीमती धर्मा देवी की पुण्यतिथि 6 नवंबर के शुभ अवसर पर हिंदी साहित्य की पद विधा में रचित पुस्तक "जल्दी घर तुम आना बेटा" को अपने साहित्यिक गुरु डॉं. मनोज भारत जी के मार्गदर्शन में अपने पूरे परिवार के साथ लोकार्पण एवं विमोचन समारोह को सफल बनाने का एक बार फिर पुन: सौभाग्य प्राप्त हुआ।
नफे सिंह योगी मालडा इसी प्रकार से अपनी दादी माँ की पुण्यतिथि पर अपने सम्पूर्ण परिवार के साथ, हर साल पुस्तकों का लोकार्पण करता है। जिसके पीछे एक बहुत बडा रहस्य है। उनका यह मानना है कि स्वर्गीय दादा जी व दादी माँ पूरे परिवार को एक साथ प्रेम भाव और भाईचारे की भावना से ममता के सुत्र से बांधकर रखते थे। इस सुंदर परिवार की बेल को हरा भरा रखने में उनका बहुत बडा योगदान था। एक समय ऐसा था जब परिवार में 10 से 12 बच्चे एक साथ खेलते, कूदते और पढते थे, जिसमें पोते, भतीजे - भतीजी, दोहते इत्यादि शामिल थे। दादाजी और दादी जी का एक सपना था कि यह परिवार मिलजुलकर एक साथ प्रेम भाव से अपनी सुप्रसिद्ध पहचान बनाएँ। अपने पूरे परिवार के साथ पुस्तकों का विमोचन करना एक गर्व की बात तो है ही, इसके साथ-साथ बुआ बाला के बडे बेटे भाई सुधीर उर्फ साहिल का जन्मदिन भी इस महोत्सव को चार चाँद लगा देता है।
कवि नफे सिंह योगी मालडा बचपन से ही अपनी दादी माँ के साथ लोकगीत गाने का बडा शौकीन था। दादी जी श्रीमती धर्मा देवी अपने इलाके की हरियाणवी लोकगीतों की सुप्रसिद्ध गायिका थी। जब भी गांव में कोई प्रोग्राम होता था जैसे कुआं पूजन, होली के गीत, फागण के गीत, सावन के गीत, शादी-ब्याह, छठी,रोट, कडाही, गृह प्रवेश एवं मायके से बेटी का ससुराल जाना आदी सभी जमीन से जुडे हुए गीत उनकी जुबान पर बहुत ही प्रबंधनात्मक योजनाबद्ध व लयबद्ध तरीके से सूसंगठित थे। हरियाणा में किसी भी प्रोग्राम के बाद में गुड और बतासे बांटने की एक बहुत पुरानी परंपरा एवं रसम है। बस गुड और बतासे पाने के लिए दादी मां के साथ गीत गाने का शौक पाल लिया नफे सिंह योगी मालडा ने, जिसका बुखार आज भी ऊंचाइयों पर है। उनके द्वारा बहुत सारे गीत अपनी दादी माँ के साथ गाये हुए आज भी मिल जाते है, यूट्यूब पर।
अपने दादा जी एवं दादी जी से प्रेरणा, माता-पिता और गुरुजनों के आशीर्वाद के बल पर, परिवारजनों के प्रेम के सहारे तथा शुभचिंतकों की दुआओं से आज नफे सिंह योगी मालडा अपने दादा जी व दादी जी के सपनों को साकार करने में निरंतर कार्यरत है। उन्होंने अभी तक कुल 27 किताबें लिखी है, जिनमें एकल संग्रह की ग्यारह पुस्तकें देश की बात (2017), मंजिल से पहले रुकना मत(2018), मौत से मस्ती (2019), कातिल कोरोना (2020), ऐसे कैसे मर जाऊँगा (2021), किसके बिन है कौन अधूरा (2022), सबर किया है सबरी कि ज्यों(2023), बारूद और भावनाएँ (2024), स्मृतियों का सिपाही (2025), जल्दी घर तुम आना बेटा (2025) और सूखा समंदर (2025) है। इसके साथ-साथ सांझा संकलन की 19 पुस्तकें लिखी है, जिसमें, काव्य संग्रह की 13 पुस्तकें, कहानी संग्रह की 3 पुस्तकें, लघुकथा की संग्रह 2 पुस्तकें और संस्मरण संग्रह की 1 पुस्तक है।
इसके अलावा हिंदी साहित्य के पत्र पत्रिकाओं में 25 साल से रचनाओं का निरंतर प्रकाशन व हिंदी साहित्य के सैकड़ो संस्थानों एवं समूहों द्वारा अनेकों बार पुरस्कृत एवं सम्मानित होने का सौभाग्य भी प्राप्त किया है। नफे सिंह योगी मालड़ा अपनी सभी उपलब्धियों का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुवर डॉं. मनोज भारत जी, परिवारजन, शुभचिंतक एवं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहन देने वाले सभी मित्रगण, सहयोगी एवं रिश्तेदारों को देता है।
इसके साथ-साथ डबल फर्स्ट बटालियन, पी सी विंग परिवार और अपने गाँव की हवा, पानी, धूल एवं मिट्टी को भी शत शत नमन करते हुए आभार व्यक्त करता है, जिन्होंने तन में ताकत, हृदय में हिम्मत और किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण करने का सामर्थ्य प्रदान किया। उनका कहना है कि...अगर माँ सरस्वती का आशीर्वाद इसी प्रकार से साथ रहा तो हर साल अपनी दादी माँ और दादा जी की पुण्यतिथि पर इसी प्रकार से पुस्तकों का पूरे परिवार के साथ आजीवन लोकार्पण कर उनकी यादों को सदा जिंदा रखूँगा।
