वेद, ऋचायें लिखने वाली घोषा और अपाला हूँ
माता दुर्गा, काली, लक्ष्मी, आदि सुन्दरी बाला हूँ
विस्मित हुआ देख जो अकबर वो चिंगारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ।।
शकुंतला ने भरत जना फिर भारत देश महान हुआ
तारा ने जब आँचल फाड़ा द्रवित पूरा श्मशान हुआ
ज़िद पर जब आ जाऊं तो यमराज पर भारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ।।
धर्म रक्षा हित मात कैकेयी सी हठधर्मी हूँ
पति विरह को हँसकर सहने वाली उर्मी हूँ
चौदह वर्ष जो वन में बिता दे वो सुकुमारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ।।
तीनों लोक के स्वामी को राधा ने नाच नचाया
एक द्रोपदी के अपमान ने महाभारत करवाया
पति सँग जो नेत्रहीन हुई वो गांधारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ।।
यशोधरा ने गौतम जी को बुद्ध बना डाला
कालिदास जड़बुद्धि को प्रबुद्ध बना डाला
रामचरित तुलसी ने रच दी जब फटकारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ।।
बेगम हजरतमहल, चेन्नम्मा मैं रजिया सुल्तान हूँ
दीपदान कर देने वाली पन्ना धाय महान हूँ
दत्तक पुत्र बांध के करती घुड़सवारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ।।
सभी क्षेत्र में आज बराबर का मेरा अधिकार है
नारी नहीं किसी से कम माना ये संसार है
बनकर मैरीकॉम चुनौती को स्वीकारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ,हाँ मैं नारी हूँ।।
- प्रियंका राय ॐनंदिनी ✍️
