* सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी ; कुरान पाठ, जिक्र, रातीब और नियाज से गूंजा माहौल
खोपोली / खलील सुर्वे :- मानवता और भाईचारे का पैगाम देने वाले बडे पीर दस्तगीर गौसपाक की याद में हर साल की तरह इस बार भी ग्यारहवीं शरीफ हाल बुद्रुक गाँव में बडी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। जुम्मा (शुक्रवार), 3 अक्टूबर 2025 की रात खोपोली नगर परिषद क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस गाँव में आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों मुरीद, श्रद्धालु और स्थानीय नागरिकों ने बडी संख्या में शिरकत की।
कार्यक्रम की शुरुआत हजरत अब्दुल कादिर जिलानी रहमतुल्लाह (गौस-ए-आजम) और इमाम अहमद कबीर रिफाई शाफई के गिलाफ पर फूलों की चादर चढ़ाकर की गई। इसके बाद कुरान पाठ, जिक्र, मनकबत और नात शरीफ पेश किए गए।
रिफाई सिलसिले के खलीफा और मुरीदों ने डफ और नगाड़े बजाते हुए पारंपरिक अंदाज में रातीब शुरू किया। इसके बाद फातिहा खानी और संदल चढ़ाने की रस्म पूरी की गई।
कार्यक्रम के अंत में सबके लिए दुआ की गई। श्रद्धालुओं को खजूर, नारियल, जर्दा भात (नियाज), नानखटाई और तरह–तरह की मिठाइयाँ बाँटी गईं। गाँव के कई परिवारों ने अपनी मन्नत पूरी होने की आस में कार्यक्रम में शामिल होकर हाजिरी लगाई। मन्नत पूरी होने पर बच्चों को खजूर या मिठाई से तराजू में तोलकर गाँव में बाँटने की परंपरा इस बार भी निभाई गई।
गाँव के छोटे-बड़े सभी लोग इस आयोजन में शामिल हुए। गौसपाक की ग्यारहवीं शरीफ सालाना की तरह इस बार भी पूरी भक्ति और रौनक के साथ मनाई गई।
हजरत अब्दुल कादिर जिलानी रहमतुल्लाह को गौस-ए-आजम, गौस-ए-पाक या बडे पीर साहब के नाम से जाना जाता है। उनकी याद में मनाया जाने वाला यह उर्स "ग्यारहवीं शरीफ" कहलाता है। इस दिन दानधर्म, नियाज और आशीर्वाद की दुआओं के लिए बडी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।