* त्योहारों के मौसम में भी नहीं थम रही अघोषित बिजली कटौती!
बालाघाट / शैलेंद्र सिंह सोमवंशी :- लामता और आसपास के क्षेत्रों में बिजली विभाग की लापरवाही के कारण आम जनता त्राहिमाम कर रही है। त्योहारों का मौसम हो या कोई भी विशेष अवसर बिना बिजली कटौती के दिन पूरा होना अब नामुमकिन हो गया है। त्योहारों से पहले मेंटनेंस के नाम पर घंटों बिजली बंद की जाती है, और जब त्योहार आता है, तब भी बिजली विभाग बिना कटौती के नहीं रह सकता।
स्थानीय नागरिकों के अनुसार, लामता में हर दिन शाम 5 बजे से 6 बजे के बीच बिजली गुल की जाती है, साथ ही दिनभर में कई बार अघोषित बिजली कटौती होती रहती है। शनिवार जैसे व्यस्त बाजार के दिन भी बिजली गुल रहने से व्यवसायी, किसान और आम नागरिक सभी परेशान है। रंगाई-पुताई करने वाले, पिसाई मशीन चलाने वाले, पानी सप्लाई वाले सभी अपने कामकाज बंद होने से त्रस्त है।
जब भी बिजली विभाग के कर्मचारियों से पूछा जाता है, तो उनका एक तयशुदा जवाब होता है। लालबर्रा से लाइन बंद है… मेंटनेंस चल रहा है… या लाइन फॉल्ट है। पर नागरिकों का कहना है कि मेंटनेंस और फॉल्ट के नाम पर बिजली कटौती का कोई ठोस कारण नहीं बताया जाता।
दीपावली जैसे प्रमुख त्योहारों में भी बिजली कटौती जारी है। रंगाई-पुताई के कार्य, मिठाई और लाइटिंग के काम ठप पड़े है। बिजली की आंख-मिचौली के कारण हर दुकानदार परेशान है। व्यवसायियों ने कहा कि यदि बिजली विभाग को कटौती करनी ही है, तो सप्ताह का एक दिन निश्चित किया जाए, ताकि लोग अपनी तैयारी कर सकें। बार-बार बिजली कटौती अब असहनीय हो चुकी है।
लामता क्षेत्र में किसानों के खेतों का पंजीयन कार्य जारी है, लेकिन लगातार बिजली गुल रहने से ऑनलाइन सेंटरों का कामकाज चौपट हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि, जब से लामता में गुप्ता पदस्थ हुए हैं, तब से रोजाना बिजली गुल हो रही है। ऊपर से बिजली बिल भी चार गुना बढ़ा दिया गया है। उन्होंने बताया कि बिजली चोरी का झूठा आरोप लगाकर उपभोक्ताओं से भारी जुर्माना वसूला जा रहा है, जैसे कि हाल ही में टाकाबर्रा निवासी हंसुलाल पर ₹36,000 का जुर्माना लगाया गया।
धान, गेहूं पिसाई और तेल पिराई जैसे काम बिजली पर निर्भर है। पर बार-बार बिजली गुल होने से मशीनें जाम हो रही हैं, मोटरें जल रही हैं और किसानों का समय बर्बाद हो रहा है। एक स्थानीय किसान ने कहा, पिसाई के लिए अगर कोई किसान आता है, तो उसे पूरे दिन मशीन के पास बैठना पडता है, क्योंकि बिजली कभी भी चली जाती है।
व्यवसायियों और नागरिकों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो संपूर्ण लामता क्षेत्र बंद कर बिजली विभाग का घेराव किया जाएगा। लोगों ने स्पष्ट कहा अब आंदोलन ही आखिरी रास्ता बचा है।