* दाभणे परिवार की महिलाओं का फूटा गुस्सा – गंदे पानी के जहर से त्रस्त, बिल्डर और अधिकारियों पर गंभीर आरोप – 15 दिन में समाधान न हुआ तो आत्मदाह करेंगे!
कर्जत / खलील सुर्वे :- रायगड जिले के कर्जत तहसील के वांजले गांव में रहने वाले दाभणे परिवार की महिलाओं और छोटे बच्चों ने शासन और प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महिलाओं का आरोप है कि “अगर हमें न्याय नहीं मिला, तो हमें और हमारे बच्चों को फांसी दे दीजिए।” नेचर बिल्डर की इमारतों से लगातार बह रहे गंदे पानी (सीवेज) के कारण पूरा इलाका बदबू, मच्छरों और बीमारियों से घिर गया है। ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के अधिकारी मौन साधे बैठे है, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया है।
* सांस लेना मुश्किल हो गया है — महिलाओं की चीख, बच्चों पर मंडरा रहा खतरा
दाभणे परिवार की महिलाओं ने बताया कि बिल्डर की बिल्डिंग से धारा की तरह बहने वाला सीवेज सीधे गांव और घरों के सामने छोडा जा रहा है। देवस्थान की पवित्र जगह तक यह गंदा पानी पहुंच गया है। बदबू और मच्छरों के कारण छोटे बच्चों की तबियत बिगड रही है।
महिलाओं का कहना है , हमें अब बीमारियों से मरने से बेहतर है कि सरकार हमें फांसी दे दे। कम से कम एक बार में सब खत्म हो जाएगा! उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर 15 दिनों में कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरा परिवार आत्मदाह करेगा।
* तकरीरें दीं, आवेदन दिए… पर कार्रवाई का नाम नहीं!
दाभणे परिवार ने पिछले कई सालों से लगातार शिकायतें की, किरवली ग्राम पंचायत, कर्जत पंचायत समिति, तहसीलदार, प्रांत अधिकारी, रायगड जिलाधिकारी, कोकण आयुक्त और यहां तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय तक। तहसीलदार ने खुद स्थल निरीक्षण कर “एनए रद्द” की रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी थी। 16 अक्टूबर 2024 को उपजिलाधिकारी कार्यालय में जांच का आदेश भी हुआ। लेकिन, गटविकास अधिकारी (BDO) और ग्राम पंचायत ने कोई कदम नहीं उठाया।
* गरीब को फांसी, अमीर को माफी — गांव में फूटा गुस्सा
ग्रामीणों ने सवाल उठाया की, क्या बिल्डरों के लिए कानून नहीं है ? क्या सरकार और पुलिस प्रशासन सिर्फ गरीबों पर ही सख्त है ? अधिकारियों पर आरोप है कि वे सिर्फ कागजी कार्रवाई करते है, लेकिन असल में कोई काम नहीं करते। श्रीमंतों को माफी और गरीबों को फांसी, यही हालात है, ऐसा कहते हुए दाभणे परिवार ने शासन के प्रति तीखा रोष जताया।
* 15 दिन में सीवेज नहीं रुका, तो आत्मदाह करेंगे - दाभणे परिवार की चेतावनी
दाभणे परिवार ने साफ कहा है की, अगर 15 दिन में गंदे पानी का बंदोबस्त नहीं किया गया, और बिल्डर पर कार्रवाई नहीं हुई, तो हम महिलाएं और बच्चे कर्जत पंचायत समिति परिसर में आत्मदाह करेंगे। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी की, हमारे मरने की जिम्मेदारी बिल्डर, ग्रामसेवक और खारतौर पर गटविकास अधिकारी सुशांत पाटील और संबंधित अधिकारियों की होगी।
* मुख्यमंत्री साहब, लाडली बहनों को 1500 रुपये मिलते हैं…पर हमें मौत क्यों मिलती है?
महिलाओं ने तंज कसते हुए कहा की, मुख्यमंत्री साहब, आप अपनी लाडली बहनों को सशक्त करने के लिए 1500 रुपये देते है, लेकिन हम जैसी बहनें जो गंदे पानी में मर रही है, उनकी कोई सुनवाई नहीं होती?”
* अधिकारी भ्रष्टाचार की गंगा में डूबे ? या राजनीतिक दबाव में ?
परिवार का आरोप है की, ग्रामसेवक, तहसीलदार, प्रांत अधिकारी, उपजिल्हाधिकारी, जिलाधिकारी और बिल्डर राजनीतिक दबाव और पैसों के लालच में कानून को ठेंगा दिखा रहे है। जब कोई मरता है, तब पांच लाख की मदद देकर अधिकारी फोटो खिंचवाते है। पर जब जिंदा इंसान न्याय मांगता है, तो सबके मुंह पर ताला लग जाता है, ऐसा कहते हुए महिलाओं ने तंज कसा।
* बिडीओ सुशांत पाटील ही असली दोषी — महिलाओं का गंभीर आरोप
महिलाओं का कहना है कि नए गटविकास अधिकारी सुशांत पाटील के पास बार-बार शिकायत की गई, पत्रकारों ने भी साथ दिया, लेकिन कार्रवाई सिर्फ दिखावे की रही। शुरुआत में सिंघम बनकर कार्रवाई का आश्वासन दिया, पर बिल्डर से मुलाकात के बाद उनका तेवर ठंडा पड गया, ऐसा आरोप लगाते हुए महिलाओं ने कहा की, अगर हमने आत्मदाह किया, तो हमारी मौत की जिम्मेदारी बिडीओ सुशांत पाटील की होगी। उन पर ‘आत्महत्या के लिए उकसाने’ और ‘सदोष मानव वध’ का केस दर्ज किया जाए।”
* पत्रकार भी उतरेंगे मैदान में — राजेंद्र जाधव करेंगे आमरण अनशन
न्यूज जर्नलिस्ट असोसिएशन (रायगड) के जिलाध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र शिवाजी जाधव ने घोषणा की है की, वह दाभणे परिवार को न्याय दिलाने के लिए 15 दिन में कर्जत प्रांत अधिकारी कार्यालय के बाहर आमरण उपोषण (भूख हड़ताल) शुरू करेंगे। उनका कहना है की, 2-3 साल से यह लडाई चल रही है। सब जानते है कि बिल्डर दोषी है, लेकिन बिल्डर का पैसा और ‘खाया हुआ नमक’ अफसरों को कार्रवाई से रोक रहा है।
उन्होंने रायगड सीईओ नेहा भोसले, जिलाधिकारी किशन जावळे और प्रांत अधिकारी प्रकाश संकपाळ से सवाल पूछा है की, क्या अब भी कार्रवाई होगी, या फिर गरीबों की मौत का इंतजार किया जाएगा?”
* एक परिवार का दर्द, सिस्टम की नाकामी का आईना
कर्जत का यह मामला सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण महाराष्ट्र में फैले भ्रष्टाचार और प्रशासनिक सुस्ती का आईना है। अगर सरकार ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले दिनों में यह आत्मदाह की चेतावनी एक भयावह हकीकत बन सकती है और तब सवाल यही रहेगा…इस मौत का जिम्मेदार कौन?