* महाराष्ट्र सहित देशभर पुलिस, प्रशासन और युवाओं को रहना होगा सतर्क
मुंबई / संवाददाता :- पहले सेक्स वर्क का मतलब था - सडकों के किनारे या रेड लाइट एरिया में ग्राहकों का इंतजार करना, लेकिन अब इस अवैध धंधे ने डिजिटल रास्ता अपना लिया है। इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और कई ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के जरिए सेक्स वर्कर्स और रैकेट्स अब सीधे ग्राहकों से जुड रहे है। इससे पुलिस और प्रशासन के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है।
पिछले कुछ महीनों में महाराष्ट्र के पुणे, मुंबई, ठाणे, नागपुर समेत उत्तर भारत के दिल्ली, लखनऊ, जयपुर जैसे शहरों में पुलिस ने कई ऑनलाईन सेक्स रैकेट्स का भंडाफोड़ किया है। ज्यादातर मामलों में एक समान बात सामने आई, वो है सोशल मीडिया का दुरुपयोग।
* कैसे बदल गया है पैटर्न ? :-
Instagram / Threads पर फोटो और bio में नंबर
Telegram ग्रुप्स में “रेट कार्ड” खुलेआम
WhatsApp पर सीधी बातचीत और डील फाइनल
स्पा व मसाज सेंटर की आड में चल रहा धंधा
OTT और वेब सीरीज का अप्रत्यक्ष असर — बोल्ड कंटेंट से सेक्स वर्क को “ग्लैमरस” दिखाया जा रहा है।
* पुलिस के लिए अपील :-
साइबर पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए - सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी जरूरी।
राष्ट्रीय स्तर पर टास्क फोर्स बनाई जाए - ऑनलाइन सेक्स रैकेट्स और सेक्सटॉर्शन के खिलाफ।
रेस्क्यू और पुनर्वास व्यवस्था मजबूत की जाए - पीड़ित महिलाओं को नई जिंदगी का अवसर मिले।
राज्यों में समन्वय बढ़ाया जाए - क्योंकि कई रैकेट्स कई राज्यों में फैले हुए हैं।
* प्रशासन के लिए सुझाव :-
अश्लील कंटेंट वाले ऐप्स पर सख्त कार्रवाई - हाल ही में केंद्र सरकार ने ULLU, ALTT समेत 25 OTT ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया है। इसे सख्ती से लागू किया जाए।
साइबर जागरूकता अभियान - स्कूल, कॉलेज और गांव स्तर तक युवाओं को शिक्षित किया जाए।
राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर - सेक्सटॉर्शन व ब्लैकमेल मामलों के लिए एक केंद्रीकृत हेल्पलाइन होनी चाहिए।
रीहैबिलिटेशन और रोजगार योजनाएं - आर्थिक मजबूरी से इस धंधे में आने वाली महिलाओं को वैकल्पिक रोजगार दिया जाए।
* युवाओं के लिए संदेश :-
सोशल मीडिया पर सतर्क रहें - अनजान प्रोफाइल के झांसे में न आएं।
अपनी निजी जानकारी साझा न करें - फोटो, वीडियो, या नंबर किसी को न भेजें।
सेक्सटॉर्शन से न डरें — ब्लैकमेल की स्थिति में तुरंत पुलिस या हेल्पलाइन से संपर्क करें।
इंटरनेट का सकारात्मक उपयोग करें — शिक्षा, करियर और कौशल विकास के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग करें।
आज ऑनलाइन सेक्स रैकेट्स सिर्फ शहरों की नहीं, बल्कि पूरे देश की तेजी से बढ़ती हुई समस्या बन चुके है। महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत लगभग हर राज्य में ऐसे मामले सामने आ रहे है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन सिर्फ पुलिस नहीं प्रशासन, युवा और समाज के सभी वर्ग जागरूक होंगे, तभी इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।