नवी दिल्ली / सीमा रंगा इन्द्रा :- मन की उडान साहित्यिक मंच करनाल द्वारा अपना पन्द्रहवां शाम गजल साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता साहित्यकार स. काबल सिंह विर्क ने की, मुख्य अतिथि कवि लेखक व एस. एम. ओ. सिविल अस्पताल करनाल डॉं. जयवर्धन रहे, विशिष्ट अतिथि कवयित्री मंजूषा दुग्गल व पंचकूला से पधारी कवयित्री मीना जागलान रही।
काव्य की शुरुआत करते हुए अध्यक्ष काबल सिंह विर्क ने कहा, गिरी हुई मस्जिद को फिर वो बनायेगा, जब कभी इंसान होश में आयेगा दोबारा। मुख्य अतिथि डॉं. जयवर्धन ने कहा, तारों में उलझा शहर का आसमां, सितारों के लिये पहाड़ों पर जाइये। कवयित्री मंजूषा दुग्गल ने कहा वो सितारे क्या चमकते थे जो धुएं में खो गए, हम ने चाहा रोशनी को पर अपनों ने फरेब किया। कवयित्री मीना जागलान ने कहा जिन्दगी एक सफर है कोई ठिकाना तो नहीं, राह में कितने मकाम है पैमाना तो नहीं।
वरिष्ठ शायर डॉं. एस. के. शर्मा ने कहा शमा एक जो जलती रहे, परवाने के संग हंसती रहती। कवयित्री अंजू शर्मा ने कहा दुनिया कितनी हसीन होती है, जब तू मेरे करीब होती है। पानीपत से पहुंचे वरिष्ठ शायर इकबाल पानीपती ने कहा सहरा तो जीत का था हमारे ही सर मगर, नजरें बचा के आप ने मोहरा बदल लिया। वरिष्ठ शायर सिराज पैकर ने कहा हर किसी में जजब ए ईसार होना चाहिये, आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए। मंच संस्थापक शायर रामेश्वर देव ने कहा जिधर से तुम गुजरते हो महक तो आ ही जाती है, तुम्हारी मीठी बातों से चहक तो आ ही जाती है। कवयित्री पूनम गोयल ने कहा नफरत हो जाएगी तुझे मुझसे, अगर मैं तेरे ही लिहाज से तुझ से बात करूं। कवि डॉं. आर. बी. कपूर ने कहा बहुत महंगा है टीचर निकला वक्त, इसके हर सबक की बहुत कीमत चुकाई हमने। कवि दलीप खरेरा ने कहा जरा कह दो गुलशन में ये कलियां मुस्करांएगी, प्रीत में झूमती गाती यहां महफिल सजाएंगी। रचनाकार राजकुमार मायूस ने कहा इस गर्दिश ए हालात ने मुझे क्या से क्या बना दिया, जिस की भी पडी मुझ पर नजर मुझे देख कर वो ही हैरां हो गया। शायर अशोक मलंग ने कहा हर ख्वाब मेरा टूटा, हर आस मेरी बिखरी, गम चाट गए मुझको, घुन जैसे किताबों को। कवयित्री सुषमा चौपड़ा ने कहा नफरतें न जाने क्यों पालते है लोग, दिल में मुहब्बत का खिलता हुआ गुलजार होना चाहिए। कवि नरेश लाभ ने कहा जरा कह दो गुलशन में ये कलियां मुस्कुराएंगी, प्रीत में झूमती गाती यहां महफिल सजाएंगी। गुरमुख सिंह वैड़च ने कहा वो जब आएंगे तो सब उनकी तरफ देखंगे मगर देखना ये है कि वो आकर किसको देखेंगे। कवयित्री ममता प्रवीण ने कहा तमाशा न कर बोल सकता हूं मैं भी, राज तेरे परत दर परत खोल सकता हूं मैं भी। युवा शायर आशीष ताज ने कहा देगा अब कौन पहरा सोचना होगा, किसे पहनाए सेहरा सोचना होगा। युवा शायर कर्णजीत सिंह मान ने कहा नायाब है या नक्ल जानता है, फुरकत में भी वस्ल जानता है। कवि विजय कुमार शर्मा ने कहा रास्ता चलते हुये मोड़ आएं है कईं, कुछ छोड देते है हमको हम छोड आते है कईं। कवयित्री गुरविंदर कौर गुरी शायर रविन्द्र सरोहा व शायर आर्यन खन्ना, रमेश कुमार ने भी कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति दी।
मंच की ओर से अध्यक्ष मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों का शाल, स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। सभी कवियों कवयित्रियों शायरों को भी मालाएं पहनाकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन रामेश्वर देव ने किया गया, कार्यक्रम में डॉं. निधि, गोपाल दास, देव, शीला रानी, संजीव कुमार, कमल कुमार व अन्य श्रोताओं ने हिस्सा लिया।