मल का पुर - नाम के जैसा ही गांव

* गंदगी, कचरा और धूल का मिश्रण है मल का पुर

मलकापूर (बुलढाणा) / संवाददाता :- गाँव तो अच्छा है लेकिन...पिछले 8 / 10 महीनों से बुलढाणा जिले की मलकापुर नगर पालिका के कूड़े का ठेका लेने वाले ठेकेदारों और सफाई कर्मचारियों के बीच अंदरूनी कलह चल रही है और इस वजह से गाँव की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है। घंटागाडी वाला नियमित रूप से नहीं आता, बल्कि हर नागरिक से घरेलू इस्तेमाल के लिए 480 और व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए 720 रुपये लिए जाते है।


जनता के आक्रोश और नाराजगी को देखते हुए, मलकापुर के पूर्व कांग्रेसी पार्षद राजू पाटिल और उनके साथी अपने खर्चे पर नगर पालिका का विरोध में नारे लगा के निषेध कर रहे है और ट्रैक्टर और कचरा ढोने वाली गाड़ियाँ स्वयं के पैसे से चलाकर कचरा इकट्ठा कर उसे डंपिंग ग्राउंड तक ले जा रहे है। हालाँकि हम अच्छा काम कर रहे है, लेकिन यह प्रशासन के लिए एक चेतावनी है और अगर भविष्य में कचरा प्रबंधन ठीक से नहीं किया गया, तो हम ऐसा ही कचरा इकट्ठा करके नगर पालिका परिषद के मुख्य अधिकारी के केबिन में फेंक देंगे और लोगों का गुस्सा दिखाएंगे।


पार्षद राजू पाटिल ने कहा। पिछले दो सालों से मलकपुर नगरपालिका को एक भी स्थायी मुख्य अधिकारी नहीं मिला है। इस मौके पर, नगर परिषद की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में भारी रोष है और मलकपुर में गंदगी, धूल और प्रदूषित जल आपूर्ति लगभग दस दिनों से एकबार  आम बात हो गई है। लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या यह आजाद भारत की निशानी है या हम अभी भी गुलामी में हैं।



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