प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत : हमारे अपने विचार होते है जो सफलता या असफलता के लिए उत्तरदायी होते है

* लेखिका - सुनीता कुमारी (बिहार) 

नुष्य के जीवन में सफलता, उन्नति और आत्मसंतोष का मूल आधार प्रेरणा है। प्रेरणा वह अदृश्य शक्ति है जो व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह शक्ति किसी व्यक्ति, घटना, विचार, पुस्तक, अथवा स्वयं के अनुभवों से प्राप्त हो सकती है।


प्रेरणा का महत्व अत्यधिक है। यह हमें सकारात्मक सोच प्रदान करती है और चुनौतियों को अवसर में बदलने की क्षमता देती है। यदि प्रेरणा न हो, तो जीवन में दिशा का अभाव हो जाता है। यही कारण है कि महान व्यक्तियों ने अपने जीवन की कठिनाइयों को प्रेरणा का साधन बनाया और असंभव को भी संभव कर दिखाया। महात्मा गांधी की अहिंसा की नीति, स्वामी विवेकानंद के विचार और ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के संघर्षपूर्ण जीवन ने अनगिनत लोगों को प्रेरित किया है।


प्रेरणा के स्रोत विविध होते हैं। यह हमारे माता-पिता, गुरुजनों, मित्रों, पुस्तकों या समाज के आदर्श व्यक्तित्वों से मिल सकती है। आज के समय में तकनीक और इंटरनेट भी प्रेरणा का बड़ा माध्यम बन गए हैं, परंतु यह आवश्यक है कि हम सकारात्मक और सच्चे स्रोतों से ही प्रेरणा ग्रहण करें।


 प्रेरणा एक निरंतर चलने वाली  प्रक्रिया है। यह हमें मेहनत, अनुशासन और धैर्य के साथ आगे बढ़ने की शक्ति देती है। जीवन में आने वाली बाधाएँ प्रेरणा के बिना पहाड़ जैसी लगती हैं, लेकिन प्रेरणा के साथ वही बाधाएँ सफलता की सीढ़ियाँ बन जाती हैं।प्रेरणा जीवन की वह ऊर्जा है जो साधारण व्यक्ति को असाधारण बना सकती है। यदि हम स्वयं को प्रेरित रखते हुए दूसरों को भी प्रेरित करना सीख लें, तो जीवन न केवल सार्थक बल्कि समाज के लिए भी उपयोगी बन सकता है।

प्रेरणा का अर्थ है किसी कार्य, लक्ष्य या विचार को करने के लिए मन में उत्पन्न होने वाली सकारात्मक ऊर्जा, उत्साह या प्रोत्साहन होती है,यह वह शक्ति है जो किसी व्यक्ति को किसी दिशा में सोचने, आगे बढ़ने और कार्य करने के लिए उत्साहित व सक्रिय करती है।

प्रेरणा की सरल भाषा में इसप्रकार परिभाषा दी जा सकती है।


"प्रेरणा वह आंतरिक या बाहरी शक्ति है, जो हमें किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उत्साहित करती है।"

प्रेरणा के स्रोत हमारे अंदर मौजूद होता है जिसे आंतरिक  प्रेरणा कहते है। जब हम अपने अंदर से किसी काम को करने के लिए प्रेरित होते हैं, जैसे सपनों को पूरा करना, कुछ नया सीखना आदि ये हमारी आंतरिक प्रेरणा है। 

कुछ प्रेरणा हम बाहर से भी ग्रहण करते है उसे बाह्य प्रेरणा या  बाहरी प्रेरणा कहते है।


ये हमें बाहरी कारणों से प्रेरित करते हैं, जैसे पुरस्कार, सफलता, दूसरों की प्रशंसा या प्रतिस्पर्धा आदि।

जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा की आवश्यकता सभी को होती है। कोई इसे सफल व्यक्तियों की कहानियों में ढूँढ़ता है, कोई पुस्तकों में, तो कोई परिस्थितियों में। परंतु सच्चाई यह है कि प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत हमारे अपने विचार हैं। यही विचार हमें दिशा देते हैं, हमारी ऊर्जा को सही मार्ग पर लगाते हैं और कठिनाइयों को अवसर में बदलने की शक्ति प्रदान करते हैं।आंतरिक प्रेरणा को प्रोत्साहित करने के लिए  सकारात्मक सोच की शक्ति की अवश्यकता होती है

हमारे विचार ही हमारे कर्मों की नींव होते हैं। जब मन में सकारात्मक सोच होती है, तो आत्मविश्वास स्वतः बढ़ता है। “मैं कर सकता हूँ” जैसा विचार असंभव को भी संभव बनाने की क्षमता देता है।


आत्मसंवाद से जागरूकता बढती है जो आंतरिक प्रेरणा को बल प्रदान करती है। अपने विचारों से संवाद करना, उन्हें पहचानना और समझना आवश्यक है। जब हम स्वयं से ईमानदारी से बातें करते हैं, तो अपने लक्ष्य और क्षमता को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। यह आत्मसंवाद हमें दिशा और उत्साह दोनों प्रदान करता है। जीवन में कठिनाइयाँ आना स्वाभाविक है। ऐसे समय में बाहरी सहारा सीमित हो सकता है, लेकिन अपने विचारों की दृढ़ता हमें थामे रखती है। मजबूत विचार कठिनाई को चुनौती में और हार को सीख में बदल देते है।


दूसरों से प्रेरणा अस्थायी होती है, लेकिन अपने विचारों से उपजी प्रेरणा स्थायी होती है। यह भीतर से उत्पन्न होती है और बार-बार हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। हमारे विचार हमारे जीवन की दिशा तय करते हैं। यदि वे सकारात्मक, स्पष्ट और दृढ़ हों, तो प्रेरणा की कोई कमी नहीं रहती। इसलिए आवश्यक है कि हम अपने विचारों को संवारें, उन्हें सकारात्मक दिशा दें और उन्हें अपना सबसे बड़ा मित्र बनाएं।

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