नवी दिल्ली / सीमा रंगा इन्द्रा :- कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नरेश लाभ ने की, मुख्य अतिथि चीफ विजिलेंस अधिकारी हरियाणा शशीकांत शर्मा रहे। विशिष्ट अतिथियों में एसोसिएट प्रोफेसर डॉं. अनिता अग्रवाल व लेखक एवं प्रवक्ता डॉ सुभाष भारती रहे। काव्य की शुरुआत करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष कवि नरेश लाभ ने कहा राधा राधा बोलिए, राधा जी है प्राण, बिन राधा लगता नहीं प्रभु का मन अरू ध्यान, मुख्य अतिथि शशी कान्त शर्मा ने कहा मनुष्य को साहित्य और कला से प्रेम होना चाहिए, ये जीवन को आनंदित एवं सार्थक बनाते है।
विशिष्ट अतिथि डॉं. अनिता अग्रवाल ने कहा बेटी तु है धन पराया, तुझे किसी ने नहीं अपनाया। डॉं. सुभाष भारती ने कहा रोते हुए इसां को हंसाती है बेटियां, बेटों का धर्म हंसके निभाती हैं बेटियां, करनाल के वरिष्ठ शायर डॉं. एस. के. शर्मा ने कहा, खूब दी उसने निशानी प्यार की, दर्दे दिल दर्दे जिगर देता रहा। कवयित्री अंजू शर्मा ने कहा आज जिन्दगी से सब बेज़ार है, हर रिश्ते में दुश्मन हजार है। कवयित्री पूनम गोयल ने कहा छत से उतरती है जब हसीनाएं, जिस्म की नजाकत को सीढियां संभलती है, कवि प्रेम पाल सागर ने कहा हजारों चिराग बुझा दिये उसने, इल्ज़ाम हवाओं पर लगा दिये उसने, मंच संस्थापक रचनाकार रामेश्वर देव ने कहा हम जिसके हो गये वो हमारा नहीं हुआ, फिर भी किसी से हम पे किनारा नहीं हुआ। कवि डॉं. आर. बी कपूर ने कहा आवाज का सफर तो बस कानों तक है, मगर ख़ामोशी का सफर आसमानों तक है, कवि दलीप खरेरा ने कहा गुफ्तगू को अधूरा रहने दीजिए। मज़ा आशिकी का लेने दीजिए।
शायरा सुमन मुस्कान ने कहा दिल के कोने में सिसकती रहती है खामोशियां, कुछ न कह के भी बहुत कुछ कहती है। खामोशियां, कवि जय भारद्वाज तरावड़ी ने कहा आधी अधूरी दास्तां हैं ये, इस को मुकम्मल कीजिए, युवा शायर अशोक मलंग ने कहा आसमां से जो बात करते थे, वो भी गिरते पतंग देखे है, गुरमुख सिंह वैड़च ने गीत के माध्यम से कहा मैं किसे कहूं मेरे साथ चल, यहां सब के सर पे सलीब है, रचनाकार राजकुमार मायूस ने कहा हम में ही थी ना कोई बात, याद ना तुम को आ सके, युवा शायर करनजीत सिंह मान ने कहा मेरे तलवे घिसे ता-उम्र जिस मंजिल को पाने में, ये दुनिया अक्सर ये कहती है मान तू किस्मत वाला है। कवि डॉं. श्याम प्रीति ने कहा सांसों की एक लय है सब कहते है, सब कुछ तय है सब कहते है, कवयित्री प्रीति सिंह ने कहा अब ज़िंदगी में उसका होना या न होना, कुछ यूं है न फिक्र उसकी न जिक्र उसका, युवा शायर रविन्द्र सरोहा ने कहा उस पेड को हवा से और भी कई मसले है। बदन छू लेने भर से कोई हरा नहीं होता, युवा शायर आर्यन खन्ना ने कहा मेरे हाथ से टपकता रहा, तेरे हिज़्र में जिगर ए लहू, यार तुम तो कहते थे इश्क में ऐसा नहीं होता। रमेश कुमार ने एक ग़ज़ल पढ़कर कार्यक्रम को ओर खुबसूरत बनाया। कार्यक्रम का मंच संचालन रामेश्वर देव ने किया, मंच की ओर से अध्यक्ष, मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों को बुक्के, शाल, स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अनिता कपूर गोपाल दास, नवीन कुमार, देव, शीला रानी, संजीव कुमार, कमल कुमार सहित श्रोताओं ने गीत, गजल, कविताओं और छंदों का खुब आनंद लिया।
