21 वीं भव्य राष्ट्रीय आध्यात्मिक काव्य संगोष्ठी

* राष्ट्रीय आध्यात्मिक काव्य साहित्यिक मंच करनाल द्वारा हिन्दी साहित्यकार स्वगीर्य रामेश्वर दयाल गोयल जी की तृतीय पुण्यतिथि पर उनकी सुपुत्री पूनम गोयल व रचना गोयल द्वारा होटल थ्रोंस अल्फा सिटी करनाल में आयोजन

हरियाणा / सीमा इन्द्रा :- राष्ट्रीय आध्यात्मिक काव्य साहित्यिक मंच करनाल द्वारा हिन्दी साहित्यकार स्वगीर्य रामेश्वर दयाल गोयल जी की तृतीय पुण्यतिथि पर उनकी सुपुत्री पूनम गोयल व रचना गोयल द्वारा 21 वीं भव्य राष्ट्रीय आध्यात्मिक काव्य संगोष्ठी होटल थ्रोंस अल्फा सिटी करनाल में आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करनाल के वरिष्ठ शायर डॉं. एस. के. शर्मा ने की, मुख्य अतिथि माउंट फोर्ट स्कूल के चैयरमेन डॉं. गुरबचन सिंह रहे, विशिष्ट अतिथि एम. डी. डी. बाल भवन अध्यक्ष सरदार परमिंदर पाल सिंह व वरिष्ठ साहित्यकार डॉं. अशोक गिरि हरिद्वार रहे व विशेष अतिथि पी. आर. नाथ रहे। सभी अतिथियों व कवियों ने दीप प्रज्वलित कर मां वीणापानी को पुष्पांजली अर्पित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। 


साहित्यकार स्वगीर्य रामेश्वर दयाल गोयल की सुपुत्री रचना गुप्ता द्वारा सभी कवियों व उपस्थित का स्वागत किया गया साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय आध्यात्मिक काव्य मंच गठन के उद्देश्य को बताया कि उनके पिता द्वारा यह मंच हिन्दी व आध्यात्मिक काव्य को लिखने वाले कवियों के लिए बनाया गया था, साथ ही आध्यात्म रस, कविताओ में से विलुप्त होता जा रहा है जिसके चलते मौलिक मुल्य की कमी हो रही है। इसलिए उन्होंने आध्यात्मिक साहित्य को बढ़ावा देने के लिए इस मंच का निर्माण किया। स्वगीर्य रामेश्वर दयाल गोयल जी की लिखी आध्यात्मिक कविता रिकार्डिंग भी उपस्थित सभी को सुनाई।


कार्यक्रम में सरस्वती वंदना कवि भारत भूषण वर्मा असंध द्वारा की गई, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉं. एस. के शर्मा ने कहा मेरे देश के वीरों ने दी थी कुर्बानी, हम ना कभी भूला सकते थे देश भक्त बलिदानी, मुख्य अतिथि डॉं. गुरबचन सिंह ने स्वगीर्य रामेश्वर दयाल गोयल के जीवन पर प्रकाश डाला, और उनकी साहित्यिक यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए परिवार की सराहाना की, वशिष्ठ अतिथि स. परमिंदर पाल सिंह ने कहा की दुनिया में बहुत कम ऐसे लोग जो अपने माता पिता के सपनों को पुरा करते हैं, उन्होंने भव्य कवि सम्मलेन के लिए परिवार की सराहाना की, वशिष्ठ अतिथि डॉं. अशोक गिरि हरिद्वार ने कहा गर्दिश में अपने भी गैर हो जाते है। गर्दिश में दरिया भी समुन्दर बन जाते है, कवयित्री डॉं. अंजू शर्मा ने कहा आज़ाद चन्द्रशेखर इक बार फिर से आना भटके हुए जवानों को रास्ता दिखाना, शायर इकबाल पानीपती ने कहा बहती हैं जहां गगों- जमन ये वो ज़मीं है, जन्नत जो है दूनिया में कहीं पर तो यही है, कवि भारत भूषण वर्मा ने कहा शहीदों की शहादत को न आलम भूल पाएगा, पहलगाम हो या पुलवामा लहू में रंग लाएगा, शायर इंतखाब संभली ने कहा वक्त तो वक्त है आता है गुजर जाता है, रंग कमज़र्फ के चेहरे का उतर जाता है।


रचनाकार रामेश्वर देव ने आध्यात्मिक रूप में कहा गीता हमारे धर्म की सच्ची किताब है, खुशबू है जिसमें प्यार की ये वो गुलाब है, कवि जयसिंह जीत ने कहा जुल्मों पर ज़ुल्म हुए पर हार नहीं मानी, हंस हंसके किये अपने सर पेश शहीदों ने, कवि नरेश लाभ ने कहा मिले सभी को सुखमय जीवन, मेरी यह अभिलाषा है, प्रेम भाव से हर पल बीते इतनी प्रभू से आशा है, कवि डॉं. आर बी कपूर ने कहा चूम लेता हूं हर आज़ादी दिवस पे अपने वतन की मिट्टी, भीनी भीनी सी खुशबू आती है शहीदों के लहू की इस मिट्टी से, कवयित्री ममता प्रवीण ने कहा तीन पीढ़ी के खर्च होती है जवानी तब मिले कफ़न तिरंगा, ए मेरे वतन के लोगो शहीदों के कफ़न सस्ते नहीं होते, कवयित्री सुषमा चौपड़ा ने कहा खुली हवा में सांस लिए हम नींद चैन की सोते हैं, उन मात-पिता से पूछो जो सीमा पर बेटे खोते है, युवा शायर आशीष ताज ने कहा हिंदी सबके प्यार की भाषा, हर दिल के इजहार की भाषा, शायर शकील जठेडी ने कहा इंसान वे इंसान क्या जो मुश्किलों से डर गये, जिंदा कहां है लोग वे जज्बात जिनके मर गये। कवि कमलेश कुमार पालीवाल ने कहा मत समझो आजादी पाकर पुरा अपना काम हुआ, दुश्मन दिख जाते है अक्सर नहीं काम तमाम हुआ, कवि दीनदयाल दीक्षित हरिद्वार ने कहा कर रहा है नमन ये तुम्हारा चमन, पदचिन्हों तुम्हारे रहे अनुगमन,करते रहना है आबाद रचना प्रभू, हे रामेश्वरम तुमको शत् शत् नमन, शायर कादिर किठारवी ने भी अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी, कार्यक्रम का मंच संचालन कवि भारत भूषण वर्मा व रचनाकार रामेश्वर देव ने किया, अंत में धन्यवाद समाजसेवी पूनम गोयल द्वारा किया गया। सभी अतिथियों एवं कवि, कवयित्रियों व शायरों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया, कार्यक्रम में डॉं. राजौरी, गौरव गुप्ता,क्षरोशन लाल गुप्ता, केदार नाथ पाहवा, जतिंद्र गर्ग व टीम, रेखा चावला व भारी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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